मंगलवार, 10 अगस्त 2010

भीखा भीख क्यों मांगता है?


भीखा सिंह भिखारी के भेष में वही कर रहा है जो आम लोग भिखारी करते हैं। मतलब भीखा सड़कों पर कभी भगवान के नाम पर, तो कभी अल्लाह के नाम पर, या आम लोगों के पूज्य...(जैसे कि लोगों का भेष दिखता है) के नाम पर कुछ रुपए मांग रहा है। लेकिन बड़ी बात ये है कि भीखा भीख क्यों मांग रहा है?

दरअसल भीखा एक बड़े से महल जैसे घर में रहने वाला एक हष्ट-पुष्ट जवान है। जिसके पास अपनी एक कीमती कार भी है। अमूमन वह उसी से घर से बाहर निकलता है, और तो और जब भी उसमें बैठता है, एक नौकर फर वाले कपड़े से उसकी कार के दरवाज़े का हैंडल तक साफ करता है। आखिर भीखा की ये हालत हो कैसे गई ? क्या भीखा अपना सब कुछ जुए में हार गया ? शायद नहीं...! सोचता हूं इसका पता ही लगा लूं ।

भीखा को देखकर मैंने उसका पीछा किया। आखिर हर रोज़ वो मेरा हालचाल पूछ लेता था, सो मेरा भी कोई फर्ज़ तो बनता ही है। लेकिन भीखा को पता नहीं कैसे मेरे वहां होने की भनक लग गई। अब उसने मुझसे पीछा छुड़ाना ही एक रास्ता चुन लिया। पहले मुझे लगा कि अगर मैं उसका पीछा कर रहा हूं, और वह मुझसे भागने की कोशिश कर रहा है, तो कहीं उसका समय न मार खा रहा हो। लेकिन मेरा दिल नहीं माना, और मैं उसका तेज़ी से पीछा करने लगा। जब मैं भीखा के बिलकुल पीछे पहुंचा, तो वो और तेज़ भागने लगा। मैंने उसे आवाज़ दी, लेकिन उसने अनसुनी कर दी, और चलता चला गया। मुझसे भी रहा न गया, और मैं भी उससे ज्यादा तेज़ी से दौड़ा। एक मोड़ पर मैंने उसे ऐसे पकड़ा कि हमारा आमना-सामना हो गया। लेकिन वो अपने आप को बचाते हुए मुझसे छिपने लगा। मैं जैसे ही उसे देखता, वह अपना मुंह छिपा लेता। जब मैं दाएं देखता, उसका मुंह बायीं तरफ हो जाता। मुझसे रहा न गया। मैंने उससे पूछ ही लिया, क्या तुम भीखा हो? उसने बड़ी सफाई से बचने की कोशिश करते हुए कहा नहीं भाई मैं कोई भीखा-वीखा नहीं हूं, मैं एक भिखारी हूं जो अपनी दो जून की रोटी के लिए कहीं भी हाथ फैलाने से नहीं हिचकता।लेकिन मुझसे तब भी न रहा गया, मैं उससे उगलवाना चाहता था कि वो वही भीखा है, जो महंगी सी कार में घूमता है, जिसके कपड़े देखकर हर किसी को जलन होती है, जिसका घर देखकर हर किसी को लगता है कि उसका अपना आशियाना भी कुछ ऐसा ही हो। लेकिन मैं उससे ये सारी बातें उगलवाने में नाकाम ही साबित हुआ। लेकिन मुझे इन सब बातों से पार पाना था, सो मैं उससे दूर हटकर उस पर नज़र रखने लगा। काफ़ी मशक्कत करने के बाद मुझे एक उम्मीद की किरण नजर आई, और वह थी भीखा की महंगी कार।

अचानक ही चमचमाती कार भिखारी के सामने रुकी। भिखारी उसमें बैठ गया। तभी सामने आकर मैंने कार को रुकने पर मजबूर कर दिया। तब मैं कार के दरवाज़े पर जाकर खड़ा हुआ, और भीखा को रंगे हाथों पकड़ लिया। तब भीखा को अपनी इस दशा के बारे में मुझसे न चाहते हुए भी कहना ही पड़ गया।

भीखाः मैं कोई करोड़पति या उद्योगपति नहीं हूं भाई। और मेरा नाम भीखा भी नहीं है। मेरा नाम है भारत की अर्थव्यवस्था। जो देखने में किसी विकसित देश से कम नहीं लगती, लेकिन उसकी आंतरिक स्थिति ही ऐसी है कि मैं एक भिखारी नज़र आने लगा। मुझे देखकर पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान जैसे छोटे देश ज़रूर जलते हैं। क्योंकि मेरा बाहरी आवरण ही ऐसा है, कि उसमें एक आभामंडल सा दिखाई देता है। लेकिन वास्तविकता उससे परे है। मेरे पास कार्यक्षमता बहुत ज्यादा है, लेकिन उसके उपयोग के पर्याप्त साधन से मैं हीन हूं। मेरा जो आडम्बर तुमने अभी तक देखा है, उसे भी व्यवस्थित रूप से दिखाने के लिए मुझे फिजूल का खर्च करना पड़ता है। सो मेरी हालत और भी गिरती जाती है। अगर तुम ये सोच रहे हो कि मेरी इस दशा का ज़िम्मेदार कौन है?... तो सुनो... मेरी ये दशा बनाई है उन लोगों ने जिन्हें तुमने अपना रहनुमा चुना है। उन्होंने अपना पेट भरने के लिए तुम्हारा पेट काट दिया। तुम पर कर्ज़ का बोझ बढ़ा दिया। अब मेरी निर्भरता तो तुम पर है। सो मेरे पास भीख मांगने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता बचा ही नहीं। अगर तुम मेरी इस हालत को वाकई सुधारना चाहते हो, तो तुम्हे ही सक्षम होना होगा। तभी मेरी हालत सुधर सकती है।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उम्दा....शानदार लिखा है...
    वैसे ही जैसे...

    मॉर्डन सुसज्जित भारत
    पर अंदर से खोखला
    आधुनिकता के झूठे मोतियों से सजा
    लेकिन भ्रष्टाचार के दीमक से ज़ार-ज़ार

    जरूरी है कि इस भारत को बचाने के लिए
    फिर से इंकलाब लाना होगा...
    किसी और को नहीं
    हमको और तुमको
    और ऐसे ही सच्चे देशभक्तों को

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  2. bahut-bahut-bahut acchhi tarah se aisi baat kah dee aapne....ki kyaa kahun....mujhse kuchh kahaa hi nahin jaa rahaa sach.....

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  3. कड़वा सच - रोचक तथा धरा प्रवाह लेखन

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  4. शेंडे जी हमारे चुने हुए लोग ही दगा दे रहे है! क्या खूब कही|

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  5. Man ko andar tak kachot gayee, bahut sunder abhivyakti.
    ) Dr. Ashok Saxena, Jhansi

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. इस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  8. सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत

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